जब बात आती है इंजीनियरिंग कॉलेज चुनने की, तो छात्र और अभिभावक अक्सर ट्यूशन फीस, ब्रांच, और प्लेसमेंट के आधार पर निर्णय लेते हैं। लेकिन एक बहुत बड़ा और छुपा हुआ फर्क है जो भविष्य की क्वालिटी एजुकेशन और इंडस्ट्री रेडी स्किल्स को प्रभावित करता है — सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली “Government Grants” यानी सरकारी फंडिंग। हर साल भारत सरकार AICTE और UGC जैसे संस्थानों के माध्यम से करोड़ों रुपये सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों को देती है ताकि वहां की लैब्स को आधुनिक बनाया जा सके, रिसर्च को बढ़ावा दिया जा सके और फैकल्टी को Industry Standards के अनुसार तैयार किया जा सके। वहीं, प्राइवेट कॉलेजों को ऐसी कोई सहायता नहीं दी जाती, क्योंकि सरकार मानती है कि वे भारी-भरकम फीस लेकर अपना खर्च खुद चला सकते हैं।
सरकारी ग्रांट्स जैसे MODROB, RPS, FDP, TEQIP आदि के माध्यम से सरकारी कॉलेज न केवल High-Tech लैब्स बनाते हैं, बल्कि उनके छात्रों को Robotics, IoT, Machine Learning जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी से पढ़ने का मौका मिलता है। यही कारण है कि सरकारी कॉलेजों से निकले छात्र GATE, PSU और GRE जैसे एग्ज़ाम में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। इसलिए कॉलेज चुनते समय सिर्फ फीस नहीं, बल्कि लैब एक्सपोजर और रिसर्च फैसिलिटी जैसे पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए।
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MODROB क्या है? (Modernization and Removal of Obsolescence Scheme)
MODROB स्कीम AICTE की एक बेहद खास योजना है, जिसका उद्देश्य है पुराने और बेकार हो चुके लैब इक्विपमेंट्स को हटाकर आधुनिक, इंडस्ट्री स्टैंडर्ड लैब्स को विकसित करना। यह योजना सिर्फ सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के लिए होती है।
इसके तहत कॉलेज को ₹5 लाख से ₹50 लाख तक की ग्रांट मिलती है जिससे वे Mechanical, Civil, CSE, ECE जैसी ब्रांच के लिए Robotics, IoT, 3D Printer, CNC Machine जैसे उपकरण खरीद सकते हैं। इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलता है — उन्हें Practical Exposure, Hands-on Learning और Industry Ready Skills विकसित करने का अवसर मिलता है।
MODROB के तहत लैब्स को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वो किसी भी टेक्नोलॉजी कंपनी के स्टैंडर्ड को मैच कर सके। इससे Placement की संभावना भी बढ़ती है और छात्रों को नए सिरे से Innovation करने का मौका मिलता है।
सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली प्रमुख ग्रांट्स
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों को MODROB के अलावा भी कई ग्रांट्स मिलती हैं, जिनका उद्देश्य टीचिंग क्वालिटी, रिसर्च, फैकल्टी डेवलपमेंट और स्टूडेंट ट्रेनिंग को बेहतर बनाना है।
Government Grant Schemes
स्कीम का नाम | उद्देश्य | पात्र संस्थान |
MODROB | लैब का आधुनिकीकरण | केवल सरकारी |
RPS | रिसर्च को बढ़ावा देना | केवल सरकारी |
FDP | फैकल्टी ट्रेनिंग | केवल सरकारी |
STTP | शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग | सरकारी/गव. एडेड |
TEQIP | वर्ल्ड बैंक फंडेड शिक्षा सुधार | केवल सरकारी |
इन योजनाओं का लाभ उठाकर सरकारी कॉलेज अपने छात्रों को High-End Infrastructure और Advanced Certification Courses प्रदान करते हैं। इन योजनाओं का फायदा प्राइवेट कॉलेजों को नहीं मिलता, जिससे उनकी लैब्स और रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित रहता है।
प्राइवेट कॉलेजों को ग्रांट क्यों नहीं मिलती?
प्राइवेट कॉलेजों को Government Grants नहीं मिलती और इसके पीछे कई प्रशासनिक और नीतिगत कारण हैं।
1. Ownership Structure: प्राइवेट कॉलेज अधिकतर Private Limited या Trust के रूप में रजिस्टर्ड होते हैं, जिन्हें सरकारी फंडिंग योग्य संस्थान नहीं माना जाता।
2. Self-Financed Model: सरकार मानती है कि प्राइवेट कॉलेज भारी फीस लेकर अपना खर्च खुद चला सकते हैं, इसलिए उन्हें फंड की जरूरत नहीं।
3. Public Welfare Priority: सरकार सरकारी कॉलेजों के ज़रिए आम जनता को कम फीस में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करवाना चाहती है, इसलिए केवल सरकारी संस्थानों को ही प्राथमिकता दी जाती है।
नतीजा यह होता है कि प्राइवेट कॉलेजों की लैब्स Outdated रहती हैं, और छात्रों को Industry Standard टेक्नोलॉजी से पढ़ाई का अनुभव नहीं मिल पाता।
सरकारी कॉलेजों में Robotics और IoT Labs क्यों बेहतर होते हैं?
सरकारी कॉलेजों की Robotics और IoT Labs इतने उन्नत क्यों होते हैं? कारण है उन्हें मिलने वाली फंडिंग, टेक्नोलॉजी सपोर्ट और इंडस्ट्री के साथ कोलैबोरेशन। MODROB और RPS जैसे ग्रांट्स के कारण ये कॉलेज ₹5–50 लाख की लैब बनाते हैं जिसमें Intel, Bosch, या IBM जैसी कंपनियों से भी सहयोग होता है।
इसके अलावा कई सरकारी कॉलेजों में Government Certified Courses जैसे Embedded Systems, AI Tools, PLC Programming आदि फ्री में सिखाए जाते हैं। इससे छात्र केवल थ्योरी नहीं बल्कि प्रैक्टिकल और इंडस्ट्री एक्सपीरियंस के साथ बाहर निकलते हैं — जो उन्हें प्राइवेट कॉलेजों के मुकाबले ज्यादा Competent बनाता है।
निष्कर्ष: Government Funding = Government Quality
सरकारी कॉलेजों को मिलने वाली सरकारी ग्रांट्स उन्हें प्राइवेट संस्थानों से कहीं आगे खड़ा करती हैं। जहां प्राइवेट कॉलेजों की लैब्स और रिसर्च सुविधा सीमित रहती हैं, वहीं सरकारी कॉलेजों में अत्याधुनिक तकनीकी संसाधन उपलब्ध होते हैं — वो भी कम फीस में।
यही कारण है कि सरकारी कॉलेजों के छात्र GATE, GRE, CAT, और PSU जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में लगातार बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे को सस्ती, लेकिन बेहतरीन तकनीकी शिक्षा मिले — जिसमें Industry Labs, Research Exposure और Certified Training भी शामिल हो — तो सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज सबसे उचित विकल्प हैं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. क्या MODROB प्राइवेट कॉलेजों को मिलती है?
नहीं, MODROB केवल AICTE-मान्यता प्राप्त सरकारी कॉलेजों को दी जाती है।
Q2. सरकारी कॉलेजों को MODROB के तहत कितनी ग्रांट मिलती है?
₹5 लाख से ₹50 लाख तक की ग्रांट दी जा सकती है।
Q3. क्या प्राइवेट कॉलेज सरकारी ग्रांट्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं?
अधिकतर मामलों में नहीं, क्योंकि वे Self-Financed संस्थान होते हैं।
Q4. क्या सरकारी कॉलेजों की लैब्स इंडस्ट्री स्टैंडर्ड होती हैं?
हाँ, MODROB और अन्य योजनाओं के तहत आधुनिक उपकरण लगाए जाते हैं।
Q5. क्या सरकारी ग्रांट्स से रिसर्च को बढ़ावा मिलता है?
हाँ, RPS जैसी योजनाएं रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए होती हैं।
Q6. क्या सरकारी कॉलेजों में Certified Courses फ्री में मिलते हैं?
अधिकतर कॉलेजों में कई सरकारी प्रमाणित कोर्स फ्री में सिखाए जाते हैं।
Q7. TEQIP योजना क्या है?
यह वर्ल्ड बैंक द्वारा फंडेड स्कीम है जो सरकारी कॉलेजों के रिसर्च और शिक्षा गुणवत्ता सुधार के लिए होती है।
Q8. क्या सरकारी कॉलेजों से PSU और GATE में ज्यादा सिलेक्शन होता है?
हाँ, मजबूत फाउंडेशन और आधुनिक लैब्स के कारण इन परीक्षाओं में सरकारी कॉलेजों के छात्रों का प्रदर्शन बेहतर होता है।

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