इंजीनियरिंग की पढ़ाई में केवल किताबें और लैब ही नहीं, बल्कि अच्छे शिक्षक सबसे जरूरी होते हैं। जब कोई शिक्षक खुद नई बातें सीखता है और उन्हें क्लासरूम में छात्रों के साथ साझा करता है, तो पढ़ाई असरदार बन जाती है। ऐसे ही शिक्षकों के लिए Faculty Development Programs (FDP) बनाए जाते हैं।
FDP एक ऐसा प्रशिक्षण प्रोग्राम होता है जिसमें कॉलेज के प्रोफेसर नई तकनीक, रिसर्च के तरीके और पढ़ाने की नई शैली सीखते हैं। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में इन FDP को बहुत महत्व दिया जाता है। AICTE, NITTTR और UGC जैसे संस्थान हर साल हज़ारों FDP करवाते हैं।
सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर इन FDP से जो सीखते हैं, उसे वे सीधे अपनी क्लास में लागू करते हैं। इससे छात्रों को न सिर्फ बेहतर पढ़ाई मिलती है, बल्कि उन्हें इंडस्ट्री की नई तकनीकों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मदद मिलती है।
दूसरी तरफ, कई प्राइवेट कॉलेजों में FDP को वो प्राथमिकता नहीं दी जाती, जो मिलनी चाहिए। इसका मुख्य कारण है अतिरिक्त खर्च। FDP में भाग लेने के लिए प्रोफेसर को छुट्टी देनी पड़ती है, ट्रेनिंग के लिए बजट देना होता है और कभी-कभी क्लास लोड को किसी और फैकल्टी से मैनेज करना पड़ता है। यह सब एक प्राइवेट संस्था के लिए खर्च जैसा लगता है, जब तक कि वह शिक्षा को सेवा नहीं, व्यवसाय की तरह देखती है। यही वजह है कि सरकारी कॉलेजों की तुलना में प्राइवेट कॉलेज FDP में पीछे रह जाते हैं।
इस लेख में हम आसान भाषा में समझेंगे कि FDP क्या है, इसका फायदा क्या है, सरकारी कॉलेज इसमें क्यों आगे हैं और क्यों प्राइवेट कॉलेजों को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने की ज़रूरत है।
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FDP क्या होता है?
FDP यानी Faculty Development Program एक ऐसा कोर्स होता है जिसमें प्रोफेसर नई चीज़ें सीखते हैं जैसे नई टेक्नोलॉजी, बेहतर पढ़ाने के तरीके और रिसर्च स्किल्स। ये प्रोग्राम आमतौर पर 5 दिन से लेकर 2 हफ्ते तक चल सकते हैं।
FDP में उन्हें AI, Machine Learning, Classroom Innovation, Research Writing और नई-नई तकनीकों पर जानकारी दी जाती है। इसके बाद, प्रोफेसर अपनी क्लास में इन्हीं सीखी बातों को अपने छात्रों को पढ़ाते हैं। इससे पढ़ाई और भी बेहतर बनती है।
सरकारी कॉलेजों में FDP क्यों जरूरी होता है?
सरकारी कॉलेजों में यह नियम होता है कि हर प्रोफेसर को समय-समय पर FDP करना जरूरी है। इसका कारण यह है कि:
- प्रोफेसर को प्रमोशन पाने के लिए FDP करना जरूरी होता है
- पढ़ाने की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नए टॉपिक्स सीखना जरूरी होता है
- AICTE और UGC इसके लिए खास निर्देश देते हैं
FDP करने से शिक्षक न केवल अपडेट रहते हैं, बल्कि उन्हें खुद पढ़ाने में भी रुचि आती है। इससे छात्रों को भी फायदा होता है।
FDP से प्रोफेसर को क्या फायदा होता है?
FDP करने से प्रोफेसर को कई फायदे होते हैं:
- नई तकनीकें सीखने को मिलती हैं
- रिसर्च पेपर और प्रोजेक्ट कैसे बनाएं, इसकी जानकारी मिलती है
- क्लास में पढ़ाने का तरीका बेहतर होता है
- देशभर के अन्य प्रोफेसरों से संपर्क बनता है
- प्रमोशन और प्रोफाइल मजबूत होता है
सरकारी कॉलेजों में ये सब फायदा प्रोफेसर अपने छात्रों तक भी पहुंचाते हैं।
FDP से छात्रों को क्या लाभ होता है?
जब प्रोफेसर FDP करके लौटते हैं, तो:
- वे नए-नए उदाहरणों से पढ़ाते हैं
- टेक्नोलॉजी से जुड़ी जानकारी शेयर करते हैं
- प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा देते हैं
- छात्रों को करियर और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए गाइड करते हैं
इस तरह, FDP अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों की पढ़ाई और प्लेसमेंट दोनों में मदद करता है।
सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में क्या फर्क है?
सरकारी कॉलेज:
- FDP को अनिवार्य मानते हैं
- इसके लिए बजट और छुट्टी देते हैं
- हर साल दो बार प्रोफेसर को ट्रेनिंग भेजते हैं
प्राइवेट कॉलेज:
- FDP को महत्व नहीं देते
- समय या सुविधा नहीं देते
- कभी-कभी सिर्फ नाम के लिए कराते हैं
इसका एक बड़ा कारण है “खर्च”। प्राइवेट कॉलेजों को लगता है कि FDP में समय और पैसा दोनों लगते हैं और इसका सीधा लाभ तुरंत नज़र नहीं आता। इसी सोच की वजह से वे इस ज़रूरी पहल को टालते रहते हैं।
रिसर्च में FDP का क्या रोल है?
FDP में प्रोफेसर को रिसर्च कैसे करें, यह सिखाया जाता है:
- प्रोजेक्ट बनाना
- रिसर्च पेपर लिखना
- जर्नल में पब्लिश करना
- पेटेंट फाइल करना
इससे छात्रों को भी रिसर्च में भाग लेने का मौका मिलता है और कॉलेज का नाम भी बढ़ता है। सरकारी कॉलेजों में इसका सकारात्मक असर दिखाई देता है।
पढ़ाने के तरीके में बदलाव कैसे आता है?
FDP से प्रोफेसर को नए पढ़ाने के तरीके सीखने को मिलते हैं:
- कहानी और उदाहरण से पढ़ाना
- स्टूडेंट को ज्यादा सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करना
- रिजल्ट पर ध्यान देना, सिर्फ सिलेबस पर नहीं
इससे छात्रों को पढ़ाई ज्यादा मज़ेदार और समझने लायक लगती है।
प्लेसमेंट और FDP का संबंध
जो प्रोफेसर FDP से अपडेट रहते हैं, वे:
- छात्रों को Interview की तैयारी करवाते हैं
- Resume और प्रोफाइल बनाने में मदद करते हैं
- कोर सेक्टर की नौकरियों की जानकारी देते हैं
- Aptitude और Technical Balance सिखाते हैं
सरकारी कॉलेजों के प्लेसमेंट बेहतर होने का एक कारण यह भी है।
निष्कर्ष: सरकारी कॉलेज क्यों आगे हैं?
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने FDP को एक जरूरी आदत बना लिया है। वहां के प्रोफेसर साल में एक-दो बार ट्रेनिंग करते हैं और जो सीखते हैं, उसे क्लास में लागू करते हैं। इससे न केवल पढ़ाई में सुधार होता है, बल्कि छात्रों को करियर में भी फायदा होता है।
दूसरी ओर, प्राइवेट कॉलेज अक्सर खर्च और समय की कमी के कारण FDP को गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन अगर वे वास्तव में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना चाहते हैं, तो उन्हें भी FDP को अपनी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाना होगा।
Frequently Asked Questions
1. FDP क्या होता है?
यह प्रोफेसरों के लिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम होता है जिसमें वे नई बातें सीखते हैं।
2. क्या सरकारी कॉलेजों में FDP जरूरी है?
हाँ, प्रमोशन और टीचिंग सुधार के लिए यह जरूरी होता है।
3. क्या इससे छात्रों को फायदा होता है?
हाँ, प्रोफेसर नए तरीके से पढ़ाते हैं और करियर गाइडेंस भी देते हैं।
4. क्या यह ऑनलाइन भी होता है?
हाँ, कई FDP अब ऑनलाइन भी होते हैं जैसे AICTE ATAL प्लेटफॉर्म पर।
5. क्या इससे रिसर्च स्किल बढ़ती है?
हाँ, प्रोजेक्ट, रिसर्च पेपर और पेटेंट जैसी चीज़ों में मदद मिलती है।
6. क्या सभी कॉलेजों को FDP करना चाहिए?
बिलकुल, इससे पढ़ाई और प्लेसमेंट दोनों बेहतर होता है।
7. क्या FDP प्रमोशन में गिना जाता है?
हाँ, API स्कोर में इसका योगदान होता है।
8. क्या प्राइवेट कॉलेज भी FDP कराते हैं?
कुछ कराते हैं, लेकिन सरकारी कॉलेज इसमें आगे हैं।

My name is Rajesh Mishra. For the past 18 years, I have been helping students get admission into the right colleges. I believe that even students with average or low ranks deserve admission in good colleges—without chasing agents, falling for false promises, or paying donations.
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